- Stele (greek ) = Pillar
- स्तम्भ या मूल का वह केंद्रीय भाग जो संवहनी उत्तक Xylem व Phloem से निर्मित होता है
- Stele की सबसे बाहरी सतह Pericycle होती है जो endodermis द्वारा घिरी रहती है।
- Pericycle मृदुतकी cell की बनी एक या बहुवर्षीय संरचना होती है, जो xylem व phloem को घेरे रहती है।
- Xylem व phloem युक्त stele से मृदुतकीय अथवा दृडोतकिय मज्जा (pith ) उपस्थित हो सकता है।
- पत्तियों में stele पाया जाता है जो vascular strand द्वारा जुड़ा रहता है इन्हे leaf trace कहते है।
- आद्य पादपों में leaf trace अनुपस्थित होते है जबकी प्रगत पादपों में यह उपस्थित होते है इनकी उपस्थिति विकसित प्रकृति को दर्शाती है।
Types of stele
- Protostele -(ठोसरम्भ)
- यह सबसे सरल आद्य रम्भ है।
- इसका केंद्रीय भाग ठोस व जायलम से बना होता है। इसके चारो और फ्लोएम एक वलय के रूप में पाया जाता है।
- जायलम व फ्लोएम Pericycle व Endodermis से ढका होता है।
- इसमें पिथ अनुपस्थित होता है।
- Leaf trace केवल vascular strand से बना होता है।
- सभी नवोदभित टेरीडोफाइट्स में Protostele पाया जाता है।
- Eg . जीवाश्म- राईनिया , हॉर्नियाफाइटोन
जीवित – Lyopodium, Lygodium
Pteridophytes में निम्न प्रकार के Protostele पाये जाते है-
- Haplostelic Protostele (एकल रम्भ ) /Haplostele
- यह सबसे आद्य प्रकार का Protostele होता है।
- इसमें Xylem एक ठोस रिंग के रूप में उपस्थित होता है तथा इसके चारो और Phloem रिंग के रूप में पाया जाता है।
- Eg . Lygodium, Selaginella, Rhynia
- Actinostelic Protostele – (अरीय रम्भ )
- इसमें xylem अरीय भुजाओं के रूप में उपस्थित होता है।
- Xylem की दो भुजाओं के बीच में phloem एकान्तर रूप से या छोटे -छोटे समूहों में पाया जाता है।
- Eg . Lycopodium serratum, Psilotum
यह निम्न प्रकार के हो सकते है
- Plactostelic Actinostele (पट्टील रम्भ )
- जब protostele का xylem अनेक छोटी -छोटी पट्टियों व बेंड रूपी पालियों में विभाजित हो तो इसे Plectostele कहते है।
- Xylem की यह पट्टिया एक दुसरे केसमानान्तर स्थित होती है।
- इनमे phloem प्रत्येक xylem पट्टिका के एकान्तर क्रम में उपस्थित रहता है।
- Eg . Lycopodium clavatum L. volubile
- Mixed Protostele
- इसमें xylem टूटकर समूहों में विभाजित हो जाता है।
- यह xylem समूह phloem में embed रहते है।
- इनमे pith अनुपस्थित रहता है।
- Eg. Lycopodium cernum
- Mixed Protostele with pith
- यह mixed protostele का ही रूपान्तरण होता है।
- इसमें xylem के साथ साथ parenchyma cell के बीच -बीच में trachids के समूह पाये जाते है।
- Eg. Glychenia dicotoma, Osmunda regalis
2. Siphonostele (नाल रम्भ)
- यह protostele का परिवर्तित रूप है।
- इसके केंद्रीय भाग में pith होता है, तथा उसके बाहर xylem व phloem एक concentric परत के रूप में पाया जाता है।
- Leaf trace /Branch trace की उपस्थिति के आधार पर यह दो प्रकार के होते है।

- Cladosiphonic siphonostele (शाखाअन्तरालीय)
- इसमें Leaf trace /gap अनुपस्थित तथा इस समूह के सदस्य microphyllous (लघुपर्णी ) होते है ex . Lycoposida
- Phyllosiphonic siphonostele (पर्ण अंतरालीय )
- इनमे Leaf trace व Branch trace दोनों उपस्थित होते है।
- Ex . Filicales
Origin of Siphonostele
- Siphonostele की उत्पत्ति protostele से हुई है
- इसकी उत्पत्ति के बारे में दो मत प्रचलित है।
- इसकी उत्पत्ति Protostele में pith के विकास से हुई है।
- Intrastellar Origin of pith.
- Extrasteler origin of pith.
a. Itrasteler origin of pith
- इस मत के अनुसार protostele के Xylem का कुछ भाग parenchyma cell में रूपान्तरित हो जाने के कारण केंद्र में मज्जा उत्पन्न होती है।
- इसके कारण Protostele की ठोस Xylem ring खोखली रिंग में बदल कर siphonostele बनाती है।
b. Extrastelar Origin of pith
- इसके अनुसार siphonostele में उपस्थित parenchyma cell का उदगम cortex से होता है
- Cortex की parenchyma cell stele के अन्दर प्रवेश कर जाती है तथा pith युक्त xylem बनाती है
Types of siphonostele
Siphonostele निम्न प्रकार की होती है –
- Ectophloic siphonostele
- Amphiphloic siphonostele
- Eustelic Siphonostele
1. Ectophloic siphonostele
- इस प्रकार के siphonostele में Phloem xylem के बाहर वलय के रूप में स्थित होता है , अतः ectophloic siphonostele कहते है।
- Eg . Equisetum,Osmunda
2.. Amphiphloic siphonostele
- इसमें Phloem वलय के अन्दर व बाहर दोनों तरफ पाया जाता है।
- इसी तरह Pericycle व Endodermis भी दोनों तरफ अंदर व बाहर उपस्थित होती है।
- Eg . Dryopteris, Marsilea
3. Eustelic Siphonostele
- इसमें Xylem टूट कर अनेक Collateral Bundle बनाती है जो एक रिंग में स्थित होते है।

3. Solenostele (नली रम्भ )
- यह siphonostele का रूपान्तरित रूप होता है।
- इसमें स्टील जगह -जगह पर पर्ण अंतराल (Leafgap ) द्वारा छिद्रित होता है।
- इसी प्रकार के अन्तराल Branch trace के निकलने से भी बनते है .
- इसमें Leaf gap overlaped नहीं होते है
- यह भी ectophloic तथा amphiphloic हो सकते है
- Eg. Pteropsida
4. Dictyostele (जाल रम्भ)
- Siphonostele में जब एक से अधिक Leaf gap उपथित होतो वह Dictyostele कहलाता है।
- इसमें siphonostele टूट कर अलग -अलग संवहन पूल बनाता है।
- यह प्रत्येक संवहन पूल meristele बनाता है।
- इसमें Leaf gap overlapped होते है तथा इसके केंद्र में pith उपस्थित होता है।
- Eg. Pteris, Ophioglossum के Rhizome में

5. Polycyclic stele (बहुचक्रिक)
- इसमें stele दो अथवा अधिक रिंग में स्थित होता है।
- विभिन्न जातियों में इनकी संख्या अलग -अलग होती है।
- जैसे – pteridium aquilinum में दो matonia pectinata में 3 तथा pteris podophylla व Platycerium aethiopicum में 4 अथवा अधिक रिंग पायी जाती है।
- यदि इनकी बाह्य वलय (outer ring ) Solenostele होतो इन्हें – polycyclic solenostele तथा यदि outer ring – Dictyostele की होतो इन्हे polycyclic Dictyostele कहते है
6. Polystele
- इसमें भी एक ही stem में एक से अधिक stele पाये जाते है।
- इनकी संख्या 3-16 तक हो सकती है।
- इसमें प्रत्येक stele स्वयं की Endodermis द्वारा घिरा होता है।
- Eg. Selaginella
