Equisetum – Distribution, structure, life history and alteration of generation

Equisetum

Internal structure of equisetum 

1- stem – equisetum के तने को दो भागों में बाँटा गया है

1- Aerial stem 2 Rhizome

1- Aerial stem – equisetum  का वायवीय तना Node व Internode  में बटा होता है

 इन दोनों की संरचनाओं में काफी विविधता पाई जाती है

1- Internode- 

equisetum   के internode की T.S.  में मुख्यतः तीन भाग दिखाई देते हैं

1- Epidermis 

2- Cortex

3- Stele

 इसकी संरचना में ridge व Groove  दिखाई देते हैं जिससे यह लहरदार दिखाई देता है

 1- Epidermis ( बहय त्वचा )

  • यह लहरदार उभारों व खांचो युक्त होती है 
  • यह एक स्तरीय दिर्घित ढोलकाकार कोशिकाओं से बनी होती है 
  • इसकी कोशिकाओं की बाह्य पर्त व पार्श्व भित्तियों पर सिलिका का deposition होने के कारण यह खुरदरी होती ई 
  • इसके epidermis में धंसे हुए (Shrunken ) रंध्र पाए जाते है 
  • यह रंध्र दो Gaurd cell व दो subsidary cell द्वारा पूर्ण रूप से ढके होते है 
  • इसकी gaurd cell में भी सिलिका के अनुप्रस्थ स्थुलन bands पाए जाते है 

2- Cortex 

इसमें कोर्टेक्स को निम्न भागो में बाँटा गया है 

  1. Outer Cortex  (b ) Inner Cortex , (c ) Endodermis

(a)  Outer Cortex 

  • यह दो प्रकार के tissue से मिलकर बना होता है 
  • 1-Sclerenchyma 2. Chlorenchyma
  • Sclerenchyma सबसे बाहरी द्र्ड़ोत्तक पर्त बनाता है जो epidermis के ठीक नीचे स्थित होता है 
  • उभारों के नीचे बड़ी बड़ी व खांचो के निचे छोटी cell उपस्थित होती है 
  • यह स्तम्भ को vertical strand में बदलता है तथा यांत्रिक सहारा प्रदान करता है 
  •  इन द्रड़ोत्कीय कोशिकाओं के नीचे हरित उत्त्कीय chlorenchyma  भाग पाया जाता है जो palisade cell का बना होता है 
  • इसकी कोशिका के मध्य अंतरा कोशकीय अवकाश (intracellular space )पाया जाता है जो रंध्रो द्वारा बाह्य वातावरण से जुड़ा होता है 
  • यह क्षेत्र प्रकाश संशलेषण का कार्य करता है क्योंकि इनमे पत्तियां शल्क वत व अहरित (non green ) होती है 

(b ) inner cortex 

  • यह पतली भित्ति की parenchyma cell से बना होता है 
  • इस क्षेत्र में बड़ी -बड़ी Lysigenous अंतरा कोशिकीय air cavity उपस्थि होती है जिन्हें vallecular canal कहते है यह वायु संग्रहण का कार्य करते है 
  • प्रत्येक खांच के निचे एक vallecular canal उपस्थित होती ई 
  • यह इन पादपो के जलोदभीद अनुकूलन को प्रदर्शित करती है 

(c) Endodermis

  • यह कोर्टेक्स की सबसे भीतरी परत होती है जो vascular bundle को घेरे रहती है 
  • इसकी cell भित्तियों पर स्थुलन पाया जाता है इन स्थुलन पट्टिकाओ के casparian strips कहा जाता है 
  • अलग-अलग जातियों में यह भिन्न प्रकार की होती है 
  • E.g. .
  • E. Pleustri – में endodermis vascular bundle को बाहर से घेरे रहती है 
  • E. Ligosum में – प्रत्येक vascular bundle – चाके रों और अलग अलग endodermis की परत उपस्थित होती है |
  • E. hymel व E.silvaticum में endodermis दो वलय में एक संवहन bundle के अन्दर व एक बाहर की और स्थित होती है 
  • Endodermis के नीचे एक pericycle पायी जाती है 
  •  

(iii) Stele

  • यह एक स्तरीय pericycle से घिरी होती है 
  • इसमें stele eustelic siphonostele प्रकार का होता है, जिसे polyfasicular siphonostele भी कहते है 
  • इसमें कई संवहन bundle एक ring में उपस्थित होते है 
  • प्रत्येक संवहन bundle pith cavity को घेरे रहता है, जो vllecular canal के एकांतर क्रम में उपस्थित होता है 
  • इसमें vascular bundle संयुक्त (conjoint) संपार्श्विक (collateral) तथा अंत:आदिदारुक (endarch) प्रकार का होता है 
  • इसमें संवहन बण्डल ,में केंबियम अनुपस्थित होती है 
  • इसमें फ्लोएम सुविकसित होता है किन्तु जाइलेम अल्पविकसित होता है 
  • इसमें xylem “ V “ आकार का होता है 
  • प्रत्येक संवहन bundle में metaxylem के दो समूह कुछ दूरी पर उपस्थित होते है इनके ठीक नीचे protoxylem के दो समूह होते है इन चारो के मध्य फ्लोएम उपस्थित होता है metaxylem में वाहिकाएं अनुपथित होती है 
  • दो संवहन बंडलों के मध्य parenchyma उपस्थित होता है 
  • Xylem व फ्लोएम के निचे carinal canal उपस्थित होती है 
  • यह carinal canal प्ररोह के मोटाई में वृद्धि के कारण protoxylem की वाहिकाओं के टूट जाने से बनती है 
  • इनमे जल भरा होता है 
  • इनमे फ्लोएम चालनी नालिकाओ व फ्लोएम parenchyma से बनता है इसमें सह कोशिकाए अनुपस्थित होती है 
  • संवहन बण्डल के वलयो के भीतर pith उपस्थित होती है , जो विघटित होकर pith cavity अथवा central canal बनाती है 

Equisetum के मरूदभिद व जलीय लक्षण 

Equisetum की वायवीय शाखाओं की internode में मरूदभिद व जलोदभिद दोनों लक्षण पाए जाते है .

Xerophytic characters (मरूदभिद लक्षण )

  • उभार व खांचो की उपस्थिति 
  • धंसे हुए (shunken ) रंध्र 
  • बाह्य त्वचा पर cuticle उपस्थित तथा भित्तियों पर सिलिका का निक्षेपण 
  • Outer cortex में sclerenchyma तथा chlorenchyma की उपस्थिति 
  • सुविकसित vascular cylinder 

Hydrophytic characters (जलोदभिद लक्षण )

Cortex में valicular canal, carinal canal तथा central canal की उपस्थिति 

Xylem अल्पविकसित व हाषित

Pith खोखली गुहा के रूप में 

2-  Node  (पर्व संधि ) 

  • पर्व संधि की संरचना पर्व  समान होती है 
  • यह पर्व से निम्न लक्षणों में भिन्न होती है 
  • इसकी मज्जा खोखली होती है तथा diaphragm का निर्माण करती है जिसे nodal डायाफ्राम कहते है 
  • यह ऊपरी व निचली पर्व को अलग करता है 
  • इसके कोर्टेक्स में Vallecular canal प्रायः अनुपस्थित होती है 
  • इसमें संवहन बण्डल जुड़ कर xylem व Phleom की एक Ring निर्मित करते है जो डायाफ्राम को घेरे  रहती है .
  • इसमें Carinal Canal भी अनुपस्थित होती है . 
  • इसमें Leaf trace व Branch trace भी अनुपस्थित होते है जो क्रमशः उभारों व गर्तों के सामने स्थित होते है .

 Anatomy  of Rhizome 

  • Rhizome की आंतरिक संरचना भी वायवीय प्ररोह के सामान होती है यह निम्न लक्षणों में भिन्न होती है 
  • इसमें उभार व खांचे वायवीय प्ररोह की तुलना में कम होते है। 
  • इसकी एपिडर्मिस में रंध्र अनुपस्थित होते है 
  • Outer कोर्टेक्स में Sclerenchymatous tissue अल्पविकसित होता है। 
  • इसमें Chlorenchyma अनुपस्थित होता है 
  • इसमें Vallecular canal, Carinal canal व Central canal अल्पविकसित होती है। 

Internal Structure of Leaf

  • इनमे पत्तियों की संरचना सरल होती है। 
  • इसमें केवल एक सरल संपार्श्विक (Colateral) संवहन बंडल पाया जाता है जो एण्डोडर्मिस से घिरा होता है। 
  • इसमें xylem अल्प विकसित होता है। 
  • इसमें xylem में Carinal Canal अनुपस्थित होती है। 
  • इसमें निचली बाह्य त्वचा की स्पर्शरेखीय भित्ति पर विभिन्न अलंकरण होते है। 
  • इसमें रंध्र अनुदैधर्य पंक्ति में लगे होते है। 

Anatomy of root

  • इसमें ‘अपस्थानिक जड़े उपस्थित होती है 
  • इन जडो की सरचना सरल होती हैं।
  • इन्हें  निम्न तीन भागों में विभाजित किया गया है 
  • 1. Epidermis• 
  • 2  Cortex
  • 3. Stele

1.Epidermis

  • यह एक स्तरीय ढोलकाकार  कोशिकाओं से बनी होती है।
  •  इसमें मूल रोम उपस्थित होते है।

2.Cortex

  • यह निम्न  भागों में बंटा होता है 

1. Outer cortex बाह्य कोर्टेक्स 

  • – यह sclerenchyma cell से बना होता है।
  •  इसकी भित्तियों पर lignin का अत्यधिक स्थूलन पाया जाता है। 

2. Inner cortex 

  • यह मृदुतकीय cell से बना होता है। 
  • इसमें बड़े -बड़े अंतराकोशिकीय वायु स्थान उपस्थित होते है 

3 . Endodermis. 

  • यह कोर्टेक्स की सबसे भीतरी परत होती है। 
  • यह बैरल shaped cell से बनी होती है जो बाहरी स्तर में बड़ी व भीतरी स्तर में छोटी होती है। 
  • एण्डोडर्मिस के भीतरी स्तर में पार्श्व जड़े निकलती है। 

Stele 

  • इसमें Protostele पाया जाता है। 
  • जो त्रि या चतुरादिदारुक होता है। 
  • इसमें केंद्र में एक बड़ी वाहिनिका उपस्थित होती है जो metaxylem होती है।  इसके चारों ओर परिधि में Protoxylem के समूह उपस्थित होते है। 
  • दो Protoxylem समूह के बीच Phloem उपस्थित होता है। 

Reproduction 

Sporophytic plant में यह निम्न विधियों द्वारा होता है –

  1. Vegetative Reproduction 
  2. Reproduction by spores 

1 . Vegetative Reproduction 

  • Equisetum में Vegetative Reproduction कंद (Tuber ) द्वारा होता है। 
  • यह भूमिगत Rhizome  की पर्व संधि पर स्थित शाखा  कलिकाओं (Branch primordia ) के अनियमित विभाजन से विकसित होता है। 
  • यह भूरे रंग का नाशपाती के आकार का अथवा अंडाकार होता है। 
  •  इसमें मंड तथा भोज्य पदार्थ संचित होते हैं। 
  •  कंद का केंद्रीय भाग  पतली भित्ति की मृदुतकी  व स्टार्च युक्त कोशिकाओं से बना होता है, जिसके चारों ओर  दृढ़ोतकी कोशिकाओं का 2 -3 स्तरीय आवरण होता है। 
  •  यह कंद मातृ पादप से पृथक होकर अनुकूल परिस्थितियों में नए पादप का निर्माण करते हैं.

Reproduction By Spore 

  • Equisetum का Sporophytic Plant sporeद्वारा Asexual Reproduction करता है। 
  • इसमें बीजाणु Homosporous होते हैं। 
  • इन बीजाणु का निर्माण Sporangiophore पर स्थित Sporangia में होता है। 
  • Sporangiophore के शीर्ष पर Compact  ( सहत) Cone या Strobilus का निर्माण होता है। 

Cone or Strobilus 

  • Equisetum में Cone / Strobilus वायवीय शाखाओं के शीर्ष पर एकल रूप से विकसित होते हैं
  •  इनके केंद्र में एक मोटा Axis  होता है, जिसके चारों ओर T आकार के लगभग 20   छाता कार Sporengiophore का एक चक्र होता है। 
  • Cone का आकार 1 /2 “ से 2 “ तक  लंबा होता है, यह लंबे और नुकीले शीर्ष  युक्त होते हैं। 
  • प्रत्येक Sporangiophore  एक छतरी नुमा संरचना होती है जिसमें 2 भाग दिखाई देते हैं

1 .  आधारी बेलना कार Stalk ,  2. चपटा षट्कोणीय Peltate Disc 

  •  इस डिस्क की निचली सतह पर 5 से 10 दीर्घित थैली नुमा बीजाणु धानीया एक वलय  में लटकी हुई होती है। 

Development of Sporangium

  •  जिस वायवीय प्ररोह  पर शंकु का निर्माण होता है उसकी वृद्धि रुक जाती है तथा शीर्ष  शंक्वाकार हो जाता है। 
  • यह शंक्वाकार शीर्ष Cone axis  का कार्य करता है .
  •  इस Axis पर Sporangiophore के Primordia अग्राभीसारी  (acropetal ) क्रम में विकसित होते है। 
  • शुरू में Sporangiophore अर्द्ध चंद्राकर होता है ,जो वृद्धि कर आधार पर संकुचन द्वारा छत्रिकाकार  हो जाता है। 
  •  इसमें बीजाणु धानी का परिवर्धन Eusporangiate प्रकार का होता है। 
  • इसमें परिवर्धन एकमात्र sporangial initial cell  से होता है .
  •  यह कोशिका पेरीक्लिनल डिविजन द्वारा एक  बाह्य कोशिका तथा एक आंतरिक कोशिका बनाती है। 
  • बाह्य कोशिका विभिन्न तलों पर विभाजन कर 2- 4 स्तरीय बीजाणुधानी भित्ति  का कुछ भाग बनाती है। तथा भीतरी कोशिकाएं sporogenous tissue बनाती है। 
  •  बीजाणु धानी भित्ति  का शेष भाग initial कोशिका की पास वाली कोशिका से बनता है।
  •  इस  भित्ति  की भीतरी परत Tapetum का कार्य करते हैं। 
  •  बीजाणु धानी में भित्ति  की दो परतो को छोड़कर सभी भीतरी परतें  बीजाणु निर्माण के समय अपघटित होकर Periplasmodial fluid  बनाती है। 
  • Sporogenous tissue की cell एक दुसरे से अलग होकर spore mother सेल में विभेदित हो जाती है .
  • इनमे से 1 /3 कोशिकाएं Degenerate  होकर प्लाज्मोडियल फ्लूड बनाती है।  तथा शेष 2 / 3 कोशिकाएं सक्रिय होकर इस द्रव में तैरती रहती है  तथा इससे पोषण प्राप्त करती है। 
  •  इन बीजाणु मात्र कोशिकाओं में अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित बीजाणु का निर्माण होता है सभी बीजाणु एक समान होते है। 
  • परिपक्व बीजाणुधानी दीर्घित बेलनाकार थैले नुमा सरचना होती है जो sporangiophore की डिस्क की निचली सतह पर लटकी होती है। 

Dehiscence of sporangium 

  • जब spore परिपक्व हो जाते है तब शंकु का अक्ष दीर्घित हो जाता है जिसके कारण sporangiophore एक दुसरे से अलग हो जाते है। 
  • इनके अलग होने से sporangium  अनावृत हो जाती है। 
  •  जब sporangium  की भित्ति सूखने लगती है तब इसकी कोशिकाओं में उपस्थित  स्थूलन बैंड भी सिकुड़ जाते हैं जिससे इसमें लंबवत धारियां बन जाती है। 
  •  इन धारियों से बीजाणु वायु में मुक्त हो जाते हैं

Gametophyte 

Spore 

  • Equisetum में homospores पाए जाते है। 
  • यह गोल हरे रंग के होते हैं जिनमें एक केंद्रक तथा  क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होते हैं। 
  • इसकी भित्ति  मोटी होती है जो चार concentric परतो से बनी होती है , सबसे भीतरी परत Intine (Endodermis ) कहलाती है। जो exine (exospore ) द्वारा घिरी होती है यह दोनों स्तर बीजाणु के cytoplasm से बनते है। इन्हे True wall कहते है , यह cellulose से बनी होती है। 
  • Exospore के बाहर क्यूटिकल युक्त middle layer होती है जो सबसे बाहरी परत epispore द्वारा घिरी होती है। 
  • यह middle layer व epispore  पेरीप्लाज्मोडियम फ्लूइड से उत्पन्न होती है। 
  •  सबसे बाहरी परत epispore  होती है जो विघटित होकर चार पट्टियां बनाती है। 
  •  यह पट्टियाँ  एक दूसरे से स्वतंत्र होती है किंतु एक बिंदु पर जुड़ी होती है। 
  •  इन पट्टियों  के शीर्ष चपटे वह चम्मचवत होते हैं  इन पट्टियों को Elaters कहते हैं। 
  •  यही Elaters  आद्रता ग्राही होते हैं जो वातावरण  मैं नमी होने पर बीजाणु पर सर्पिलाकार  रूप से लिपटे रहते हैं तथा शुष्क वातावरण में बाहर फैल जाते हैं
  •  यह  बीजाणु के प्रकीर्णन में सहायक होते हैं। 

Germination of spore 

  •  इसमें बीजाणु अंकुरित होकर गेमेटोफाइट्स का निर्माण करता है
  • इसका बीजाणु मुलायम होता है अतः यह ज्यादा अवधि तक जीवित नहीं रह सकता अतः यह कुछ ही दिनों में अंकुरित हो जाता है। 
  •  बीजाणु जल अवशोषण कर फूल जाता है जिससे इसका बाह्य चोल फट जाता है इसी समय Elaters भी अलग हो जाते हैं। 
  • अंकुरण के समय बड़ी रासधानी की जगह कई छोटी-छोटी रसधानियां बन जाती है। तथा क्लोरोप्लास्ट भी केंद्रक  के चारों ओर एकत्रित हो जाते हैं। 
  •  बीजाणु में प्रथम विभाजन से दो असमान कोशिकाएं बन जाती है
  • 1.  छोटी प्राथमिक मूलाभाषी (Rhizoidal ) कोशिका 
  • 2. बड़ी प्रोथैलियल कोशिका
  •  छोटी Rhizoidalकोशिका  मैं क्लोरोप्लास्ट छोटे अथवा अनुपस्थित होते हैं जबकि बड़ी प्रोथैलियल कोशिका में अनेक क्लोरोप्लास्ट तेल की बूंदे पाई जाती है
  •  राइजोडियल कोशिका लंबी होकर प्रथम मूलाभास बनाती है जबकि प्रोथेलियल कोशिका विभिन्न तलों में विभाजन करके prothallus बनाती है। 
  • Prothallus का आकार व अमाप वातावरण पर निर्भर होता है।  यदि एक ही स्थान पर अनेक spore अंकुरित हो तो उनसे बनने वाला prothallus तंतुमय होता है जबकि दूर दूर अंकुरित होने वाले prothallus अपेक्षाकृत मोटे गददीनुमा होते है। 
  • परिपक्व prothallus हल्के भूरे रंग का thallus नुमा सरचना होती है जिसका व्यास 1 -10 mm तक होता है।  इसकी निचली सतह पर अनेक Rhizoids उपस्थित होते है 
  • इसकी ऊपरी सतह पर उधर्व हरी शाखित व अशाखित पालियाँ होती है। 
  • इस prothallus पर नर व मादा जननांग उत्पन्न होते है। 

Sexuality of prothallus 

  • Equisetum की अधिकांश जातियों में prothallus monoecious होते है। 
  • Equisetum में तीन प्रकार के Gametophytes परिवर्धित होते है 
  1. हल्के पीले लाल रंग के -नर Gametophyte 
  2. गहरे हरे रंग का -मादा Gametophyte 
  3. उभयलिंगाश्रयी -Gametophyte 
  • यदि बीजाणु दूर अंकुरित हो तो उभयलिंगाश्रयी होते है , जिनमे पहले स्त्रिधानियाँ तथा बाद में पुंधानिया
  • बनती है लेकिन यदि बीजाणु सघन रूप से अंकुरित होते है तो इनमे केवल पुंधानिया विकसित होती है 
  • भोजन की कमी से भी नर युग्मकोदभिद पादप बनते है 

Archegonium 

  • इनका विकास Antheridium से पहले होता है। 
  • यह prothallus की पालियों के आधार पर स्थित होती है। 

Development of Archegonium

  • Prothallus की एक सतही कोशिका archegonial initial का कार्य करती है 
  • इस cell में periclinal डिवीज़न होता है जिससे बाह्य प्राइमरी cover cell तथा inner central cell का निर्माण होता है। 
  • Primary cover cell एक दुसरे के समकोण पर दो उधर्व विभाजनों से चार Primary Neck cell बनाती है जो अनुप्रस्थ विभाजन द्वारा 3 – 4 कोशिका ऊंचाई की स्त्रिधानी ग्रीवा का निर्माण करती है 
  • Central cell अनुप्रस्थ विभाजन द्वारा एक Primary neck Canal cell तथा एक venter cell बनाती है। 
  • यह Primary Canal cell अनुप्रस्थ विभाजन कर दो neck Canal cell बनाती है। 
  • इसी प्रकार venter cell भी अनुप्रस्थ विभाजन द्वारा venter Canal cell तथा egg का निर्माण करती है। 
  • परिपक्व स्त्रिधानी ग्रीवा व अण्डधा में विभेदित होती है अण्डधा prothallus में धंसी रहती है जबकि ग्रीवा उभरी हुई रहती है। 
  • ग्रीवा 3 – 4 cell ऊंचाई की होती है ग्रीवा नाल में एक या दो neck Canal cell स्थित होती है जबकि अण्डधा में ऊपरी छोटी एक venter Canal cell तथा आधारी बड़ा egg स्थित होता है। 

Antheridium 

  • यह prothallus की उधर्व पालियों के शीर्ष अथवा आधारी भाग  पर विकसित होती है। 
  • आधारी भाग पर लगने वाली – embedded Antheridium  जबकि शीर्ष भाग पर लगने वाली -projected Antheridium होती है। 

Development of Antheridium

  • Embedded Antheridium सीमान्त विभज्योतक से उत्पन्न superficial cell से विकसित होती है। इसे antheridial initial कहते है। 
  • यह एक periclinal division द्वारा बाह्य jacket initial तथा भीतरी Primary androgonial cell बनाती है। 
  • Jacket initial anticlinal division द्वारा एकस्तरीय jacket का निर्माण करती है तथा शीर्ष भाग की एक कोशिका त्रिकोणीय opercular cell के रूप में विभेदित हो जाती है। 
  • Primary androgonial cell अनेक विभाजनों द्वारा androgonial cell का समूह बनाती है। इन कोशिकाओं से अंत में antherozoid mother cell बनती है जो कायांतरण द्वारा बहुकशाभिक antherozoid बनाती है। 
  • पुमणु का अग्र भाग कुंडलित तथा कशाभिका युक्त होता है  जबकि पश्च भाग फैला हुआ होता है। 
  • Projected Antheridium के विकास में पालियों शीर्ष कोशिका में तीन भित्तियों से  विभाजन होता है जिसके परिणाम स्वरुप एक चतुष्फलकीय केंद्रीय कोशिका विभेदित होती है यह कोशिका पुंधानी आरम्भिक का कार्य करती है इससे पुंधानी का निर्माण embedded पुंधानी के समान ही होता है। 

Structure of mature antheridium 

  • यह गोलाकार संरचना होती है जो एक स्तरीय जैकेट द्वारा परिबद्ध होती है 
  • इसके शीर्ष पर एक तिकोनी opercular cell विभेदित होती है। 
  • इसमें लगभग 256 antherozoid स्थित होते है 
  • Projected पुंधानी अपेक्षाकृत छोटी होती है तथा इनमे पुमणुओ की संख्या भी कम होती है। 

Dehiscence of Antheridium 

  • पुंधानी के आसपास की कोशिकाओं व पुमणु जल अवशोषित करके फूल जाते है , जिससे दबाव के कारण भित्ति के शीर्ष पर उपस्थित operculam cell अपने स्थान से हट जाती है तथा पुमणु मुक्त हो जाते है। 

Fertilization 

  • निषेचन से पहले Neck Canal cell तथा venter Canal cell अपघटित हो जाती है जिससे एक श्लेष्मी द्रव का निर्माण होता है। 
  • यह द्रव Malic Acid होता है जो पुमणुओं को अपनी और आकर्षित करता है। 
  • इससे अनेक पुमणु स्त्रिधानी में प्रवेश कर जाते है तथा इनमे से केवल एक पुमणु अण्ड से संयोजित होकर Zygote का निर्माण करता है , जो शीघ्र ही oospore में बदल जाता है। इसमें विभाजन होता है जिससे embryo बनता है , जो वृद्धि करके sporophyte plant बनाता है। 

Development of embryo

  • अधिकांश जातियों में oospore में अनुप्रस्थ विभाजन होता है जिससे बाह्य epibasal cell तथा भीतरी hypobasal कोशिका का निर्माण होता है। 
  • इसमें suspensor का निर्माण नहीं होता है। किन्तु दोनों कोशिकाएं भ्रूण निर्माण में भाग लेती है। 
  • इन दोनों कोशिकाओं में उदग्र विभाजन होता है जिससे 4 कोशिकीय भ्रूण बनता है इसे quadrant embryo कहते है। 
  • इसमें पुनः उदग्र विभाजन होता है जिससे octant embryo का निर्माण होता है जिसमे चार epibasal तथा 4 hypobasal कोशकाएँ होती है। 
  • 4 epibasal कोशिकाओं में से एक प्ररोह की apical cell तथा शेष leaf initial का कार्य करती है। 
  • जबकि 4 hypobasal कोशिकाओं में एक root initial तथा शेष 3 कोशिकाएं foot बनाती है। 
  • प्ररोह तथा मूल शीर्ष कोशिकाएं तेजी से वृद्धि करती है मूल  prothallus उत्तक को भेदकर मृदा में प्रवेश कर जाती है। विकास के दौरान प्राथमिक मूल नष्ट हो जाती है तथा अनेक अपस्थानिक मूल विकसित हो जाती है। 
  • जबकि प्ररोह वृद्धि कर पर्व व पर्वसन्धियों विभेदित हो जाता है। 
  • इसके आधार से कई शाखाएं निकलती है जिनमे से कुछ भूमिगत होकर प्रकंद का निर्माण करती है

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