Alternation of Generation (पीढ़ी एकांतरण )

  • पीढ़ी एकांतरण शब्द  – Hofmeister (1851)
  • जब पादप के जीवन चक्र में आकारिकीय रूप दो भिन्न प्रकार (अगुणित तथा द्विगुणित) के सदस्य पाए जाते है तो इसे पीढ़ी एकांतरण कहते है ।
  • टेरिडोफाइट्स में प्रमुख पादप द्विगुणित (2N) बीजाणुदभीद होता है । जो जड़ , तना, तथा पत्ती में विभेदित रहता है , यह बीजाणुओं द्वारा जनन करता है इसमें बीजाणु बीजाणु धानियों में लगाते है । जिनमे अर्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप अगुणित बीजाणु बनते है , यह युगमकोदभीद पीढ़ी की प्रथम कोशिका होते है । यह बीजाणु अंकुरण द्वारा युगमकोदभीद पादप का निर्माण करते है , इस पादप पर अगुणित जननांग उत्पन्न होते है जिनमे युग्मकों का निर्माण होता है तथा इन योगमको के निषेचन से द्विगुणित zygote का निर्माण होता है यह द्विगुणित पीढ़ी की प्रथम कोशिका को निरूपित करता है, Zygote अंकुरण द्वारा embryo तथा अंततः द्विगुणित बीजाणुदभीद में विकसित होता है। 

बीजाणुदभिद पीढ़ी (Sporophyte ) संरचनात्मक रूप से जटिल, स्वतंत्र तथा प्रभावी होता है। जबकि युग्मकोदभिद (Gametophyte ) पीढ़ी हाषित एवं अप्रभावी होती है। 

Homosporous जातियों में Gametophyte स्पष्ट अल्पजीवी स्वतंत्र उपरिभूमिक स्वपोषी अथवा भूमिगत मृतोपजीवी प्रकार का exosporic होता है 

Heterosporic जातियों में Gametophyte अल्प हाशित तथा Endosporic प्रकार का होता है। 

इन जातियों में पृथक नर एवं मादा Gametophyte का निर्माण होता है तथा लिंग विभेदन Sporophyte पर बीजाणु बनते समय ही हो जाता है। 

नर युग्मकोदभिद अत्यधिक हाशित होता है जो एक प्रोथेलियल कोशिका द्वारा निरूपित होता है। जबकि मादा युग्मकोदभीद तुलनात्मक रूप से बड़ा एवं स्वपोषी होता है। 

नर Gametophyte पर Antheridium तथा मादा Gametophyte पर Archegonium विकसित होता है 

Homosporous तथा Heterosporous दोनों प्रकार के Pteridophytes में Heteromorphic (विषमरूपी ) प्रकार का पीढ़ी एकान्तरण पाया जाता है क्योंकि बीजाणुदभिद एवं युग्मकोदभिद एक दुसरे से बाह्य आकारिकी एवं संरचना में भिन्नता दर्शाते है। 

Sporophytic Generation (2N)Gametophytic Generation (N)
यह प्रमुख पीढ़ी होती हैयह द्वितीयक पीढ़ी होती है 
यह आत्मनिर्भर हैयह भी आत्म निर्भर है व जमीन के अंदर संपन्न होती है 
यह द्विगुणित होते हैयह अगुणित होते है 
यह द्विगुणित युग्मनज से प्रारम्भ होती हैयह अगुणित बीजाणु से से प्रारम्भ होती है 
यह अर्धसूत्री विभाजन के पश्चात समाप्त हो जाती हैयह निषेचन के पश्चात समाप्त होती है 
यह पादप जड़ तना व पत्ती में विभाजित होती है यह प्रोथैलस कहलाता है 
यह कायिक जनन व बीजाणुओं द्वारा जनन करता है। यह लैंगिक जनन द्वारा जनन करता है 
8 . इसमें लैंगिक अंग अनुपस्थित होते है इसमें नर जनन अंग Anthridiyaव मादा जनन अंग Archegonium उपस्थित होता है 

Origin of Sporophyte & Alternation of Generations

Čelaskovský, 1874 के अनुसार पीढ़ी एकान्तरण दो प्रकार का होता है –

A . Antithetic पीढ़ी एकान्तरण

इसके अनुसार दो पूर्ववर्ती पीढ़ियों (युग्मकोदभीद ) के मध्य एक नई पीढ़ी (बीजाणुदभिद) interpolate (अंतर्वेशित) हो जाती है। इसके अनुसार इस प्रकार का पीढ़ी एकान्तरण आर्किगोनियटी में मिलता है। 

B. Homologous (समजात ) पीढ़ी एकान्तरण

इसमें दोनों पीढ़ियां Phylogeny (जातिवृत्त) की दृष्टि से समान और समकालिक होती है। जिनका विभेदन जननांगों की उपस्थिति या अनुपस्थिति द्वारा होता है।  इसके अनुसार इस प्रकार का पीढ़ी एकान्तरण थेलोफायटा में मिलता है। 

नोट – इन दोनों प्रकार के एकान्तरण के लिए Ray Lankaster (1870) ने क्रमशः अंतर्वेशन (Interpolation) और रूपान्तरण (Transformation ) पदों का प्रयोग किया 

A.  Antithetic or Interpolation or Intercalation Theory (अंतर्वेशन सिद्धांत ) 

इस सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वप्रथम Celaskovasky ने किया तथा इसका समर्थन बॉवर, केम्पबेल,स्ट्रास्बर्गर, कवर्स और चेम्बरलेन ने किया। 

इस सिद्धांत के अनुसार बीजाणुदभिद का संभावित विकास निम्न चरणों में हुआ –

  1. इसके अनुसार आदिम स्थलीय पादपों का जीवनवृत्त आधुनिक सूत्रीय हरित शैवाल जैसे – Oedogonium के समान रहा होगा। ऐसे पादपों में द्विगुणित Zygote, Sporophyte पीढ़ी को निरूपित करता होगा।  यह Zygote कुछ समय तक प्रसुप्तावस्था में रहने के बाद Meiosis द्वारा अगुणित चलबीजाणु बनता है। इस प्रकार प्रसुप्तावस्था के कारण Meiosis भी विलम्ब से होता है। 
  2. विकास के दूसरे चरण में स्थलीय पादप हरित शैवाल Coleochaete के समान रहे होंगे जिसमे Zygote का आकार अपेक्षाकृत बड़ा होगा और Meiosis के बाद कई Mitosis division हुए होंगे। जिसके परिणामस्वरूप 16 -32 तक वैजाकार कोशिकाएं बनी होंगी और प्रत्येक कोशिका से  एक Zoospore बना होगा।  इस अवस्था में प्रसुप्तावस्था के कारण Meiosis देरी से हुआ होगा तथा Meiosis के बाद कई Mitosis division होने से चल बीजाणुओं की संख्या में वृद्धि हुई तथा प्रत्येक चल बीजाणु एक नव पादप बना। 
  3. विकास के अगले चरण की एक मात्र परिकल्पना की गई लेकिन इस अवस्था को निरूपित करने वाला जीवित सदस्य अभी तक नहीं खोजा जा सका। इस परिकल्पना के अनुसार Zygote Meiosis द्वारा तुरंत विभाजित नहीं होता।  Meiosis से पहले Zygote में कुछ Mitosis division होते है और एक Diploid काय बन जाती है। इस काय की प्रत्येक कोशिका में Meiosis द्वारा अगुणित बीजाणु बनते है। 
  4. विकास के अगले चरण में सरल Sporophyte की प्रगामी विशिष्टता व जटिलताएं होती है। Zygote के कुछ बार Mitosis द्वारा विभाजित होने से एक बहुकोशिकीय गोलाकार काय बन जाती है।  इसका सबसे बाहरी कोशिका स्तर बंध्य होकर एक संरक्षी आवरण बना लेता है।  शेष कोशिकाएं fertile होती है और Meiosis द्वारा अगुणित बीजाणु बनाती है।  इस प्रकार का बीजाणुदभिद Riccia के बीजाणुदभिद के समान रहा होगा जिसमे की सिमित वृद्धि होती है और पाद , सीटा , व केप्सूल का विभेदन नहीं होता है बाह्य कोशिका स्तर संरक्षी जैकेट बनाता है तथा अधिकांश केंद्रीय कोशिकाओं से बीजाणु परिवर्द्धित होते है। 

इस प्रकार के विकास का प्रमुख उद्देश्य अधिक उत्तम पोषण , सुविकसित बीजाणु प्रकीर्णन और स्थलीय स्वभाव के प्रति अधिक क्षम अनुकलन था। इसके लिए उत्तको का अधिकाधिक sterilisation (बंध्यकरण ) होता गया और यह sterile (बंध्य ) उत्तक विभिन्न कार्यों के लिए विशिष्ट होते गए। 

B. Transformation or Homologous Theory (समजात सिद्धांत )

इस सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वप्रथम – Pringsheim (1878) ने किया तथा इसका समर्थन चर्च , जिमरमेंन , इवान्स फ्रिश्च और बोल्ड ने किया। 

इस सिद्धांत के अनुसार Sporophyte और Gametophyte दोनों परस्पर समजात होते है तथा Sporophyte Gametophyte का ही एक सीधा रूपांतरण है। 

इस मत के अनुसार Sporophyte एक neutral generation है जिसका मूल कार्य केवल मात्र बीजाणु उत्पन्न करना है। 

इस सिद्धांत के समर्थन में निम्न  प्रमाण प्रस्तुत किये गए 

1 . समरूपी पीढ़ी एकान्तरण का पाया जाना – 

इस मत के अनुसार दोनों पीढ़ियाँ समरूपी एक -दूसरे से स्वतंत्र और बाह्य सरचना में एक समान होती थी , कालांतर में विकास प्रक्रिया के दौरान Sporophyte Gametophyte पर स्थायी रूप से attached हो गया तथा आंशिक रूप से Gametophyte पर आश्रित गया इसके कारण Sporophyte की जटिलता क्रमश ह्यसित होती गयी। 

जैसे – Ulvaceae , Cladophoraceae, Ectocarpales, Dictyotales शैवालों में समरूपी पीढ़ी एकान्तरण मिलता है। 

2. बीजाणुदभिद का पोषण 

हीपेटोकोपसीडा, एंथेसिरोटोप्सीडा, और ब्रयोप्सिडा के सरल Sporophyte के विभिन्न भागों में हरितलवक मिलते है और यह सीमित सीमा में खाद्य निर्मित कर सकते है।  इस लक्षण से यह इंगित होता है की दोनों पीढ़ियों में एकान्तरित अवस्थाओं में स्व -पोषकता की मूल प्रवृति एक समान है। 

3. आदिम Pteridophyte पादपों के Sporophyte और Gametophyte में मिलने वाली संरचनात्मक समानताएँ –

Psilotum, Tmesipteris, Ophioglossum, Lycopodium के निरंतर शीर्षस्थ वृद्धि वाले बेलनाकार द्विभाजी Gametophyte Psilotum व Rhynia के Sporophyte के समान है यह समानता समजात सिद्धांत की पुष्ठि करती है। 

4. Pteridophyte पादपों के Gametophyte में वाहिनिकाओं को उपस्थिति 

Steil (1939 ) के अनुसार फर्न के Gametophyte में apical groove के ठीक पीछे की और वहिनिकाओं का पाया जाना apogamy का एक स्पष्ट व उत्तम प्रमाण है यह लक्षण दो पीढ़ियों में परस्पर संरचनात्मक समानता को भी दर्शाता है। 

5. अपयुग्मकता और अपबीजाणुकता 

  • बिना युग्मक संयोजन के gametophyte से Sporophyte का परिवर्धन Apogamy कहलाता है। 
  • Gametophyte की किसी भी कोशिका या उत्तक से sporophyte का परिवर्धन हो सकता है। 
  • इस प्रकार से परिवर्धित Sporophyte अगुणित होता है। 
  • Apogamy का उल्टा Apospory (अपबीजाणुकता ) होता है इसमें Sporophyte से बिना बीजाणु के Gametophyte का परिवर्धन होता है। 
  • इसमें Sporophyte के किसी भी कोशिका या उत्तक से Gametophyte का परिवर्धन हो सकता है तथा इसमें Meiosis अवस्था अनुपस्थित होती है। 
  • अनेक ब्रयोफाइट व टेरीडोफाइट में Apospory तथा अनेक टेरीडोफाइट में Apogamy मिलती है।  
  • यह दोनों ही अवस्थाएं समजात सिद्धांत की पुष्टि करती है। 

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